Friday, August 27, 2010

Meri pooja

हम सब शादी में गए हुए थे और सगाई वाले दिन जब हम लड़के वालों के आने का इंतज़ार कर रहे थे। तभी उनकी गाड़ियाँ दरवाज़े पर आ कर रुकी और हम जीजाजी के साथ अन्दर जाने लगे। तभी पीछे मेरी मामी ने आवाज़ लगाई- राजन, पूजा अकेले सामान ला रही है, उसके साथ सामान उठा लाओ !
मैं गया और उसको देखा। शकल से एक औसत लड़की जिसकी फिगर कमाल की, साथ ही मम्मे भी इतने बड़े और उसके ब्लाऊज़ से झांकती वो जवानी, उसके वो गुलाबी होंठ ! मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। वो मेरे जीजाजी की बहन थी।
खैर मैं उसके साथ अन्दर तक गया और मैंने देखा कि वो भी मुझे नोटिस कर रही थी। हमारी कई बार आखें मिली और एक खिंचाव सा पैदा हो गया हम दोनों के बीच में। हमने साथ में खूब खुशियाँ मनाई और खूब नाचे गाये।
जाते वक़्त मैंने हिम्मत करके पूजा का नंबर मांग लिया और उससे बातें करने लगा। शादी एक महीने बाद थी। तब तक मैंने पूजा को सेट कर लिया था। अब वो शायद मुझे पसंद करने लगी थी।
फिर शादी के दिन वो उस गुलाबी साड़ी में क्या लग रही थी, शादी में शायद ही कोई ऐसा मर्द हो जिसने उसे मुड़-2 कर न देखा हो।
फिर जब डांस करने की बारी आई तो मैंने पूजा के साथ बहुत देर तक डांस किया। डांस करते वक़्त कई बार मेरे हाथ उसके मम्मों पर छुए और वो सब समझ कर मुस्कुराने लगी लेकिन उस वक़्त तक मेरे मन में कोई खास पाप नहीं जागा था अगर वो खाना खाते वक़्त मुझे आँख मार के अलग आने के लिए नहीं कहती। उसने मुझे अलग बुलाया और बोली- मेरा यहाँ मन नहीं लग रहा है, कुछ देर बाहर घूम कर आएँ?
मैंने कहा- चलो !
मगर मैं एकदम से नहीं निकल सकता था इसलिए मौका पाकर मैंने अपनी गाड़ी में पहुँच कर उसे फ़ोन मिला दिया।
वो आ गई और हम गाड़ी में बैठ कर निकल लिए। सर्दी की रात थी और बर्फीली ठण्ड पड़ रही थी और उस बंदी(लड़की) को घूमना था। मेरी समझ में उसके सारे सिग्नल आ तो रहे थे मगर मन में यह डर था कि हम लड़की वाले थे, कोई ऊँच-नीच हो गई तो बदनामी हो जाएगी।
फिर हम मुख्य सड़क पर निकल आये और पूजा मेरे से बोली- इतनी देर तुम अन्दर बोर नहीं हो रहे थे क्या?
मैंने कहा- हाँ, हो तो रहा था मगर क्या कर सकते हैं, लड़की वाले हैं, लड़के वाले होते तो भाई की सालियों को ही छेड़ लेते !
वो बोली- तो मेरे साथ अन्दर इतनी देर से क्या कर रहे थे? कभी यहाँ हाथ, कभी वहाँ ?
मैं झेंप गया और वो बोली- मैं सब समझती हूँ !
मैंने गाड़ी अँधेरे एक साइड में लगा कर उससे कहा- समझती हो तो क्या ख्याल है?
वो बोली- मैं इतनी रात को तुम्हारे साथ सिर्फ घूमने थोड़े ही आई हूँ !
मैंने उसकी तरफ ध्यान से देखा और अचानक ही हम एक दूसरे की तरफ खिंचते चले गए और हमारे होंठ एक दूसरे से मिल गए। मैं उसके होंठों का रस पीने को बेताब था जैसे कि मेरी तमन्ना पूरी होने को थी।
बहुत देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से उसके मम्मों को सहलाना चालू किया। वो भी थोड़ी ना नुकुर के बाद मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपने मुँह को उसकी छाती से लगाया और उसके जिस्म की प्यारी सी खुशबू लेने लगा। साथ ही उसकी भी सिसकियाँ चालू हो गई। मैं इस बात का पूरा ख्याल भी रख रहा था कि किसी पल पूजा को ऐसा न लगे कि मैं उसके साथ ज़बरदस्ती कर रहा हूँ।
फिर मैंने उसके ब्लाऊज़ के अन्दर हाथ डाला और ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी के अन्दर हाथ दे दिया हो। उसका पूरा जिस्म जल रहा था। मैंने बिना मौका गंवाए बिना उसका ब्लाऊज़ ऊपर कर दिया और उसके मम्मो को सहला के उसके चुम्बन लेने लगा। कुछ देर बाद जब वो पूरी तरह मदहोश हो गई तब मैंने उसकी साड़ी ऊपर करनी चालू की। गाडी में जगह कम होने के कारण हमें थोड़ी परेशानी हो रही थी।
फिर मैंने उसकी चूत में हाथ डाला और पाया कि उसकी चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी और एकदम मुलायम और गरम थी। फिर उसने अपने हाथों से मेरी पेंट की जिप खोली और मेरा लंड को सहलाने लगी जोकि अब तक मूसल बन गया था। उसने मेरे लिंग की चुसाई करनी चालू की और मैं उसके बाकी कपड़े उतारने लगा। साथ ही मैंने उसके उन नरम चूचों का भी भरपूर आनंद लिया। हर तरह से मरोड़ के, चूस के दांतों से चबा के मैंने उन पर अपनी छाप छोड़ दी।
अब मैं जानता था कि देर करना सही नहीं है। पहले एक बार अपनी छाप लड़की के अन्दर छोड़ दो, फिर बाकी काम तो बाद में होते रहेंगे।
मैंने उसकी सीट पीछे को लिटा दी और उसकी पैंटी को साइड कर के अपने लंड से उसका छेद सहलाने लगा।
और वो आहें भरते हुए बोली- फक्क मी नाओ !
और मैंने आहिस्ता से उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया। और वो एक प्यारी सी चीख के साथ पीछे हो गई।
मैंने अपना लंड बाहर निकल कर पूरी जान के साथ अन्दर तक डाल दिया मगर इस बार मुझे भी दर्द हुआ क्योंकि शायद उसकी झिल्ली फट गई थी इस बार और वो दर्द से छटपटा उठी।
मैंने फ़ौरन उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे अपने से लिपटा लिया और उसके तुरंत बाद मैंने कुछ कागज़ सीट के ऊपर रख दिए ताकि अगर खून गिरे भी तो सीट गन्दी न हो।
फिर मैंने उससे पूछा- आगे बढ़ें?
उसने प्यार से मेरी तरफ देखा और बोली- थोड़ी देर और, बहुत मज़ा आ रहा है।
मेरे लिए तो अच्छी बात थी और मैंने उसकी चूत में दुबारा अपना लंड दिया और 5-6 धक्कों के बाद बोली- अब बस !
मेरा मन तो नहीं था, मुझे मानना पड़ा, रिश्तेदारी का सवाल था। और उसकी चूत में से अपना लंड निकाल कर साफ़ करने लगा।
वो बोली- अब मेरी चूत को थोड़ी देर चूसो !
मैंने उसकी चूत फिर एक कागज़ से साफ़ की और उसे चूसना चालू किया। फिर थोड़ी देर बाद मेरा ध्यान टाइम पर गया और मैंने उससे कहा- अब वापस चलना चाहिए !
वो बोली- ठीक है !
मैंने उसे गाड़ी से बाहर एक चक्कर मारने की सलाह दी ताकि उसकी चाल में कुछ सुधार आ जाये जोकि पहली बार चुदने के बाद बिगड़ जाती है।
वापस आकर हम दोनों चुपचाप जश्न में शामिल हो गए।
उसके बाद पूजा से मेरी लगभग रोज़ बातें होती थी और मेरे साथ फ़ोन पर सब तरह की बातें करती थी। वो हंस-2 कर बताती थी कि मैंने कल रात तुम्हारे नाम से मुठ्ठी मारी और बोलती कि उस दिन का काम पूरा करने कब आओगे।
फिर कुछ दिन बाद मैं अपने जीजाजी के घर किसी काम से गया और मुझे रात को वहीं रुकना था। घर पर सिर्फ जीजाजी, दीदी, पूजा और उसकी मम्मी थी।
अचानक ही रात को जीजाजी को फ़ोन आया कि उनके दोस्त की मम्मी गुज़र गई है तो उन्हें जाना पड़ा। मेरी दीदी भी साथ चली गई। दीदी की सास तो नौ बजते ही सो जाती थी। मुझे मौका मिल गया। हमने कंप्यूटर में फिल्म चलाई और देखने लगे। सर्दी थी और वो एक बड़ा सा कम्बल लाकर मेरे बगल में ही बैठ गई। पिक्चर का नाम "जूली" था, जिसमें नेहा धूपिया ने क्या दृश्य दिए थे। पूजा मेरी बगल में बैठी थी और जब पहला चुम्बन दृश्य आया तो मुझे शादी की वो रात ध्यान आ गई।
फिर अचानक मेरे घर से फ़ोन और मैं बाहर गया और वापस आकर कम्बल में घुस गया तो मैंने पाया कि पूजा ने अपनी जींस उतार रखी थी और वो सिर्फ पेंटी में रजाई के अन्दर थी। मैं अपना आपा खो रहा था और पूजा मुझे उकसाए जा रही थी। थोड़ी देर बाद एक दृश्य में डर लगने के बहाने पूजा मेरे से एकदम सट गई और मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उसकी टांगों को सहलाना चालू कर दिया। फिर मैंने अपना एक हाथ टॉप के अन्दर डाल दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत मसलता रहा। जब तक मूवी खत्म हुई, मैंने पूजा के जिस्म को मसल-मसल कर लाल कर दिया था और उसकी सारी लिपस्टिक खा चुका था।
जैसे ही पिक्चर ख़त्म हुई पूजा ने उठ कर कंप्यूटर बंद किया, दरवाज़ा बंद किया और आकर मेरी रजाई में फिर घुस गई।
मैंने कहा- यहाँ कुछ नहीं करते !
तो वो बोली- कोई फर्क नहीं पड़ता, मम्मी तो अब सो गई, वो सुबह ही उठेगी।
यह कह कर मेरा हाथ अपने मम्मों पर सहलाने लगी। असल वो मेरे सहलाने से गर्म हो चुकी थी और अब बस चुदना चाहती थी।
तो मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया, उसकी गांड के नीचे एक तकिया रखा और सीधा उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और सोचा कि कुछ धक्कों के बाद यह मान जाएगी मगर मुझे क्या मालूम था कि उसने अपनी चूत में गाजर और मूली दे-दे कर अपनी चूत को चुदक्कड़ बना दिया था।
मैं उसे धक्के मारता रहा और वो मज़े लेती रही, हर दस मिनट के ब्रेक के बाद फिर चालू हो जाती।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने सोचा- यह ऐसे नहीं मानेगी, मैंने उसे उसकी गांड मारने के लिए राज़ी कर लिया।वो नादान मान गई और बोली- ठीक है ! यह भी करके देख लेते हैं !
मैंने कहा- ठीक है, मगर ज्यादा शोर मत मचाना, तुम्हारी मम्मी जाग जाएगी।
वो बोली- ठीक है !
मैंने पहले उसकी गांड में अपनी दो उँगलियाँ डाल के देखा कि उसका छेद बहुत ढीला था। मैंने उसे उसका छेद टाईट करने के लिए कहा और अपना लंड उसकी गांड के अन्दर डालना चालू किया आहिस्ता-2 !
वो सिसकियाँ भरने लगी और और शायद उसे दर्द भी हो रहा था। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और एक ही झटके में अन्दर तक डाल दिया वो बड़ी तेज़ी से चीखी और मैंने उसका मुंह अपने हाथों से बंद कर दिया। मैंने कई धक्के मारे उसकी गांड में, जिससे उसे बहुत दर्द हुआ पर मैंने सोचा कि उसे सबक तो सिखाना ही पड़ेगा।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकला और उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसकी एक टांग उठा के अपने कंधे पे रखी और उसकी चूत में अपना लंड बाड़ दिया और बहुत देर तक उसको मैंने चोद। उस बंदी ने भी हार नहीं मानी और हद से ज्यादा दर्द के बाद भी वो मेरा साथ देती रही। शायद इसी को हवस कहते हैं।
मैंने फिर उसे घोड़ी बनाया और फ़िर उसकी चूत में अपना लंड बाड़ दिया। अब वो निढाल हो चुकी थी और शायद इससे ज्यादा झेल नहीं पाती, तो मैंने उसे छोड़ दिया और उसके बगल में लेट कर उसके चुम्बन लेने लगा। अब मैं भी थक रहा था और सोना चाहता था और हम दोनों सोने चले गए।

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Pehla pyar pallavi ke saath

मेरा नाम राज है, मैं एक 26 साल का लड़का हूँ, पेशे से इंजिनियर हूँ, एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के ऑफिस में काम करता हूँ। वैसे तो मेरे साथ बहुत सी लड़कियाँ काम करती है पर एक लड़की पर मेरा दिल आ गया था। कुछ ही महीनो पहले एक नई लड़की ने हमारी कंपनी ज्वाइन की थी जिसका नाम पल्लवी है। वो देखने में बहुत खूबसूरत है, उसके मम्मे उतने बड़े नहीं, पर वो देखने में बहुत गौरी है, उसकी आवाज भी बहुत मीठी है। वो अगर सामने आ जाये तो नजर नहीं हटती। वो कभी सलवार पहन कर आती तो कभी जींस।
मैं देखने में उतना खूबसूरत तो नहीं हूँ पर प्यार किया तो डरना क्या !
एक दिन मैं ऑफिस जल्दी पहुँच गया था, उस वक़्त कोई भी वहाँ नहीं था। थोड़ी देर में वो भी आ गई, उस वक़्त ऑफिस में सिर्फ हम दोनों थे। मैं भी अपने काम में लगा हुआ था, तभी एक मीठी सी आवाज से उस लड़की ने मुझे पीछे से पुकारा। उसने अपना हाथ हैन्डशेक करने के लिए बढ़ाया और अपना परिचय दिया। मेरे तो मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी, मैं उसकी तरफ एक टक देखे जा रहा था। वो भी मुझे इस तरह देखते झेंप गई और मेरा ध्यान भंग करते हुए मुझसे अपना परिचय देने को कहा।
मैंने झट से अपना परिचय दे दिया। बस फिर क्या था, मैं भी उससे बात करने के लिए उसके बारे में पूछने लगा- वो पहले कहाँ काम करती थी ? उसके दोस्त कैसे थे वगैरह-वगैरह !
बातों ही बातों में मैंने उसे कॉफ़ी के लिए पूछ लिया। वो भी जल्दी से तैयार हो गई। फिर हम दोनों ने कैंटीन में जा कर काफ़ी पीते पीते बहुत सी बातें की।
यह सिलसिला काफी दिनों तक चला। एक दिन हम लोगों ने बाहर जा कर खाना खाने की सोची। वो एक बार बोलते ही तैयार हो गई थी। मैं उसे एक मंहगे होटल में ले गया था, वो होटल मेरे घर के काफी नजदीक था। हमने खाना आर्डर किया और खाना का इन्तजार करने लगे। खाना आने में बहुत समय लग रहा था तो मैंने उसको समय बिताने के लिए कोई चुटकला सुनाने को बोला। वो थोड़े नखरे करने के बाद एक चुटकला सुनाने को तैयार हो गई। उसने एक बकवास सा बच्चों वाला चुटकला सुना दिया। उसे खुश करने के लिए मैं बहुत हँसा।
अब मेरी बारी थी, मैंने उसे एक दोहरे मतलब वाला व्यस्क चुटकला सुना दिया, जिसे सुन कर वो शरमा गई और मुस्कुराने लगी। मैंने मौका देख कर एक और वैसा ही चुटकला सुना दिया। इस बार उसने मुझे 'शरारती' कहते हुए मेरे हाथ पर हल्के से चपत लगा दी। हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे। इतनी देर में खाना भी आ गया था। हम खाना खाते खाते अपनी रुचियों के बारे में बात करने लगे।
बातों बातों में हम एक दूसरे का हाथ छू लिया करते थे, वो बिलकुल भी ऐतराज नहीं करती थी। मेरा भी साहस बढ़ रहा था।
एक दिन हम नई मूवी के बारे में बात कर रहे थे, उसने मुझसे कोई एक मूवी लाने को कहा। अगले दिन मैंने उसे मूवी के साथ एक और इंग्लिश मूवी भी दी जिसमे कुछ सीन भी थे। दूसरे दिन जब उसने मुझे मेरी सीडी वापस की तो कहा कि वो इंग्लिश वाली मूवी उसे बहुत अच्छी लगी। मैं भी समझ गया कि यह तो खुल्लम खुल्ला लाइन दे रही है। मैंने मौका का फायदा उठाते हुए उससे शॉपिंग में मेरी मदद करने को कहा। वो झट से मान गई।
अगले दिन हम जब शॉपिंग के लिए गए तब मैं अक्सर साथ चलते चलते उससे टकरा जाता, ट्रैफिक क्रॉस करते हुए उसका हाथ पकड़ लेता। वो ऐतराज नहीं करती थी।
मैं जानबूझ कर उसकी चूचियों से टकरा जाता, वो भी मेरे काफी नजदीक आ गई थी, वो अक्सर मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे दुकानों में खींच लेती थी। मुझे भी बहुत मजा आता था और एक अजीब से सनसनी पूरे शरीर में दौड़ पड़ती। देखते देखते मेरी भी झिझक कम हो गई थी, मैंने भी उसके गले में हाथ डालना शुरू कर दिया था, फिर मैं अक्सर उसके बालों को सहलाने लगता, उसके गालों को आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगलियों से छू लेता था।
पल्लवी अब मुझ से काफी घुल मिल गई थी। एक बार हम दोनों पिज्जा खा रहे थे, और थोड़ा सा सॉस उसके नाक पर लग गया, मैंने अपनी ऊँगली से उसकी नाक पर से सॉस को पौंछ दिया, उसने भी झट से मेरा हाथ पकड़ कर मेरी ऊँगली से सॉस को चूस कर साफ़ कर दिया। उसे ऊँगली चुसवाने से मुझे जो मजा आया वो मैं बयान नहीं कर सकता। मेरा रोम रोम खड़ा हो गया था, लौड़े से तो मानो एक बार पिचकारी छूट ही गई थी।
मैं इतना ज्यादा रोमांचित हो गया कि मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थी। मैंने तुंरत उसी ऊँगली को सॉस में डूबा कर कहा- एक बार और करो ना !
यह सुन कर वो शरमा गई और दोबारा मेरी उंगलियों को चूसना शुरू कर दिया। इस बार उसने पूरे 15 सेकंड तक मेरी ऊँगली को चूसा होगा। बस फिर क्या था, मुझे तो ग्रीन सिग्नल मिल गया था, मैंने भी खाना आधा छोड़ कर पेमेंट किया और उसके साथ जल्दी से होटल के बाहर आ गया।
हमने एक ऑटो किया और उसे समुन्दर के किनारे ले जाने को कहा। समुन्दर काफी दूर था, अब बस मैं और वो ऑटो की पीछे की सीट में बैठे बैठे पागलों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे, मैं उसको पूरी ताकत से अपनी बाहों में कसने लगा और उसके गले के पीछे और उसके होठों को चूमने लगा।
एक लड़की को किस करने का आनंद मैं लिख कर बयान नहीं कर सकता। मेरे लौड़ा पूरी तरह खड़ा हो गया था, वो भी पूरी तरह गर्म हो गई थी।
मैंने ऑटो वाले को ऑटो अपने घर के तरफ मोड़ने को कहा।
घर में घुसते ही हम दोनों पागलों के जैसे एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। हम कोई भी बात नहीं कर रहे थे, बस एक दूसरे को चूम-चाट रहे थे। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर दबाने शुरू कर दिए, वो मुझे और जोर से किस करने लगी थी।
फिर उसने मुझे कहा- अब बस और देर मत करो और जल्दी से बिस्तर पर चलो !
हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए थे और दोनों की सांसें काफी जोर जोर से चल रही थी।
वो जाकर बेड पर लेट गई, उसकी चूत पर बहुत से रेशमी बाल थे जिसमें से उसकी चूत दिख नहीं रही थी। में भी उसके ऊपर लेट गया और अपने लौड़े को उसकी चूत पर रख दिया। उसने मुझे तुंरत रोक दिया और कहा- कंडोम है या नहीं ?
मैंने तुंरत दराज से एक कंडोम निकला और पहन लिया। इतनी देर में मेरा लौड़ा थोड़ा मुरझा गया था, वो भी समझ रही थी। मुझे उसे बोलना अच्छा नहीं लग रहा था कि मेरा लौड़ा चूसे। सो मैंने उसकी चूत में ऊँगली करनी शुरू कर दी और दूसरे हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा और अपने मुँह से दूसरे मम्मे को चूसने लगा।वो अजीब अजीब सी आवाजें निकालने लगी, जैसे उसे बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वो झड़ने लगी। झड़ने के बाद मैंने उसे अपना लौड़ा दिखाते हुए कहा- तुम मेरे लौड़े को चूसो ना !
वो थोड़े नखरे करने के बाद मान गई। उसने जैसे ही मेरा लण्ड मुँह में लिया, मुझे अलौकिक आननद की अनुभूति होने लगी। थोड़ी देर में जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने उसके मुँह से लौड़े को निकाल लिया और उसकी चूत पर रख दिया और जोर जोर से धकेलने लगा। मेरा लौड़ा पूरी तरह उसकी चूत के अन्दर घुस गया था, मैंने आनंद में अपनी आँखें बंद कर ली, धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में हम दोनों फिर से झड़ने लगे।
मैं काफी देर तक उसके साथ लेटा रहा, थोड़ी देर में हम दोनों तैयार हो कर चल पड़े।
हम अब अक्सर मिला करते थे। धीरे धीरे मैंने उसे गांड मरवाने के लिए भी राजी कर लिया था।

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Tuesday, August 24, 2010

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